कार्य विधि
इस सर्जरी के पहले भाग में पेट को विभाजित कर पेट की एक छोटी ट्यूब बनाई जाती है, जो थैली का आकर ले लेती है। ऐसा करने से बहुत कम मात्रा में व्यक्ति द्वारा भोजन लिया जा सकता है।
दुसरे भाग में सर्जन आंत की एक लूप (लगभग 200-300 सीसी की) की सहायता से नई थैली (पहली प्रक्रिया में बनाई गयी थैली) के निचले हिस्से से जोड़ता है। (आंत से आंत, या आंत से पेट के जोड़ने की प्रक्रिया को “एनास्टामोसिस” कहा जाता है)। इसका सीधा सा मतलब यह है कि खाया हुआ भोजन छोटी थैली से छोटी आंत में जाकर पाचन रस में मिलता है, जो सर्जरी के बाद पेट के मुख्य भाग से नीचे की ओर चले गए हैं। परिणामस्वरूप, भोजन के अवशोषण से पहले भोजन छोटी आंत के लगभग 2-3 मीटर भाग को बाईपास कर देता है, जिससे शरीर में कम कैलोरी अवशोषित होने की वजह से वज़न घटना शुरू हो जाता है।
किसी भी समय खाए जा सकने वाले भोजन की मात्रा को सीमित करना, मालएब्जॉर्प्शन और भूख नियंत्रण करने वाले हार्मोन में परविर्तन करने का कार्य करती है मिनी गैस्ट्रिक बाईपास (एमजीबीपी)।