कार्य विधि
इस प्रक्रिया में पेट के आकर को सामान्य से छोटा कर एक थैली का निर्माण किया जाता है, जिससे व्यक्ति की खाने की क्षमता कम हो जाती है। आंत को सीधा इस थैली से जोड़ दिया है। भोजन निचले पेट से होकर, स्मॉल इन्टेस्टिन् (डुओडेनम) और फिर दुसरे भाग (जेजुनम) में जाता है। पेट को सीधे स्मॉल इन्टेस्टिन् के निचले भाग से जोड़ दिया जाता है, जो पाचन तंत्र के अंशों तक पहुँचता है। इसे एक संयुक्त प्रतिबंधात्मक और मालएब्जॉप्टिव प्रक्रिया माना जाता है।
परिणाम
इस सर्जरी के बाद महज एक वर्ष में शरीर का औसतन 77% वज़न कम हो जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि 10 से 14 वर्षों के बाद भी मरीज़ों ने शरीर के 60% अतिरिक्त वज़न को बनाए रखा है। 500 रोगियों के एक अध्ययन से पता चला कि सर्जरी के बाद उनकी 96% स्वास्थ्य संबंधित स्थितियों जैसे- पीठ दर्द, स्लीप एपनिया, हाई ब्लड प्रेशर, टाइप-2 डायबिटीज़, डिप्रेशन आदि में भी सुधार आया है। ज्यादातर मामलों में, मरीज़ों को सामान्य से कम भोजन करने पर ही पेट भरा महसूस होने लगता है, जिससे अधिक खाने की इच्छा कम हो जाती है।