मोटापे से ग्रसित
लोगों के लिए जानलेवा है
कोविड-19
डब्ल्युएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, अधिक वज़न और डायबिटीज़ से परेशान लोगों में गंभीर लक्षण और अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है कोरोना वायरस, जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु दर भी बढ़ सकती है।
मोटापा और कोविड-19
कोविड-19 ने सामान्य लोगों की तुलना में अधिक वज़न वाले लोगों पर अधिक प्रभाव डाला है। यह वायरस मोटे लोगों को इस प्रकार प्रभावित कर रहा है कि यदि वे इस वायरस से संक्रमित होते हैं, तो उनकी जीवित रहने कि दर कम और जटिलता दर बढ़ जाती है। डब्ल्युएचओ द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार, कोविड से मरने वाले ज़्यादातर लोग अधिक वज़न और डायबिटीज़ वाले ही थे। पूरी दुनिया में मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए यह एक ख़तरनाक स्थिति है।
गंभीर स्थितियों के बीच एक और ऐसी समस्या है जो मोटे लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है। इस महामारी ने बैरियाट्रिक और मेटाबोलिक सर्जरी को रोक दिया है, जिससे मोटापे से पीड़ित रोगियों के इलाज में देरी हो रही है।मोटे लोग हमेशा ही खुद को हर सूची में सबसे नीचे पाते हैं और पक्षपात से जूझते हैं। लॉकडाउन के समय में लोगों को अपने घरों में ही रहना पड़ा और उन्होंने सामान्य से अधिक मात्रा में खाने का सेवन किया। मोटे लोग खाने से ज़्यादा देर दूर नहीं रह सकते, और घर के अंदर बिना कुछ कार्य किये वो बस अपना वज़न ही बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही कोविड-19 और लॉकडाउन ने हर घर की आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। यह तनाव और चिंता का एक गंभीर करण है।

मोटे मरीज़ों के लिए कोविड-19गंभीर स्थिति क्यूँ है?
- लॉकडाउन के कारण, मोटे लोग घर के अंदर रहने पर मजबूर हैं, जिससे उनके जीवन में तनाव और चिंता बढ़ गई है।
- क्वारंटाइन ने मोटे लोगों को अत्यधिक खाने के प्रति संवेदनशील बना दिया है।
- उनके जीवनशैली में परिवर्तन आया है और वे कुछ न करते हुए बस अपने घर पर बैठे रह सकते हैं, जिससे उनका वज़न और ज्यादा बढ़ता जा रहा है।
- कोविड-19 और उपचार में देरी के कारण बैरियाट्रिक और मेटाबोलिक सर्जरी पर पूर्ण विराम लगा हुआ है।
- सोशल मीडिया पर वेट गेनिंग और इससे संबंधित जोक्स शेयर हो रहे हैं, जिससे मोटे लोग अधिक चिंतित महसूस करते हैं।
- मोटापे के कारण सांस लेने में समस्या होती है, जो कोरोना वायरस संक्रमण का एक प्रमुख लक्षण है।
- यदि वे संक्रमण के शिकार होते हैं तो मोटे रोगियों के लिए जटिलता दर अधिक हो जाती है।
- यदि वे संक्रमण के शिकार होते हैं तो मोटे रोगियों के लिए जीवित रहने की दर कम हो जाती है।
Request a call back for more details
ऐसे समय में जब कोविड-19 जंगल की आग की तरह फैल रहा है, अधिक वज़न वाले लोगों में संक्रमित होने की संभावना सबसे अधिक है। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? डॉ. मोहित भंडारी बताते हैं कि मोटापा और कोरोना वायरस एक साथ क्यों जुड़े हैं।
हमारे शरीर में, ‘एडिपोसाइट्स’ नामक कोशिकाएं होती हैं, जिन कोशिकाओं पर कई रिसेप्टर्स मौजूद होते हैं। ‘एंजियोटेंसिन’ नामक एक रिसेप्टर वसा युक्त कोशिकाओं में सबसे अधिक पाया जाता है, जिसकी तरफ कोरोना वायरस का आकर्षण सबसे अधिक होता है। दूसरा कारण है मोठे लोगों में फेफड़ों का ठीक तरह से कार्य न करना। अधिक वज़न वाले लोगों में श्वास संबंधी समस्याएं बहुत अधिक देखी जा सकती हैं, जिसके कारण निमोनिया के विकास की संभावना अधिक हो जाती है।
इम्युनिटी दो प्रकार की होती है- जन्मजात प्रतिरक्षा और अधिग्रहित प्रतिरक्षा। मोटे लोगों में फैट के कारण यह दोनों इम्युनिटी कम हो जाती हैं। कम इम्युनिटी होने के कारण, मोठे लोगों में किसी भी प्रकार के वायरस से लड़ने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। डब्ल्युएचओ के मुताबिक अधिक वज़न वाले लोगों को अपना ज़्यादा ख्याल रखने की आवश्यकता है क्यूंकि इससे प्रभावित होने की सबसे अधिक संभावना उन्हीं की है।
दुनिया भर में लॉकडाउन होने के बाद सरकार ने फैसला लिया कि जब तक कोरोना महामारी चली नहीं जाती, इलेक्टिव सर्जरीज़ पर रोक लगायी जाए। इलेक्टिव सर्जरी एक ऐसी सर्जरी है, जिसमें आपातकालीन चिकित्सा शामिल नहीं है, जिसकी सभी प्रक्रियाएँ पहले से निर्धारित होती हैं, और उन्हें जल्दबाज़ी में करने की आवश्यकता नहीं होती। सरकारी एजेंसियों ने इस महामारी के चलते इलेक्टिव सर्जरीज़ पर अस्थायी ठहराव का सुझाव दिया, जिससे डॉ. मोहित भंडारी भी सहमत हैं। डॉ. भंडारी के सनुसार, सरकारी एजेंसियों द्वारा दिए गए इस सुझाव के पीछे दो कारण हैं।
विश्व में चीन डायबिटीज़ से ग्रसित लोगों की सबसे बड़ी राजधानी है। कोविड-19 से संक्रमित मरीज़ों में 32% डायबिटीज़ वाले थे, और संक्रमण से मात्र 10 दिन में मरने वाले 10% लोग भी डायबिटीज़ के ही थे। डायबिटीज़ के कारण ही ये मरीज़ सामान्य लोगों की तुलना में कम बच पाए। डॉ. मोहित भंडारी के अनुसार, डायबिटीज़ ने न केवल मृत्यु दर में वृद्धि की, बल्कि कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के जीवित रहने के दिनों को भी कम कर दिया।
भारत में इस महामारी से मरने वाले 50-60% लोग डायबिटीज़ वाले थे। यूरोपीय देशों में, कोविड-19 से संक्रमित होने वाले मरीज़ों में सबसे बड़ा जोखिम का कारक डायबिटीज़ ही था। अमेरिका में भी, मरने वाले 28% लोग डायबिटीज़ के ही थे।
जिन लोगों ने पिछले तीन से बारह महीनों में बैरियाट्रिक सर्जरी कराई है, उनका सबसे आम प्रश्न था- कोविड-19 से बचने से लिए हमें क्या आहार लेना चाहिए? डॉ. मोहित भंडारी के अनुसार, आपके सर्जन द्वारा जो दिशानिर्देश और आहार ग्रहण करने की सलाह आपको दी जाती है, उसका बैरियाट्रिक सर्जरी के बाद सख्ती से पालन किया जाना अनिवार्य है। इसके अलावा, कुछ महत्वपूर्ण बातें जैसे- प्रोटीन का सेवन अधिक करना आदि का ध्यान रखना भी आवश्यक है। किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है प्रोटीन। मरीज़ को अपने वज़न अनुसार प्रति किलोग्राम पर लगभग 1.5 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए। उदाहरण के लिए, 50 किलो वज़न वाले लोगों के लिए 75 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। प्रोटीन के साथ, आपको मल्टीविटामिन लेने की ज़रूरत है, जो आपके डॉक्टर द्वारा आपको सुझाए गए हैं।
न केवल बैरियाट्रिक सर्जरी वाले रोगियों के लिए बल्कि सामान्य लोगों के लिए ज़िंक का सेवन महत्वपूर्ण है। वायरस और शरीर के म्यूकस मेम्ब्रेन के बीच एक लेयर बनाने का कम करता है ज़िंक। कई रिसर्च के मुताबिक जिंक में एंटी-वायरल गुण भी मौजूद रहते हैं। आपके डॉक्टर द्वारा आपको जो आहार योजना दी गई है उसके साथ जरुरी सुरक्षा उपाय करने से कोरोना संक्रमण से निपटने में मदद मिल सकती है। एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए जितना हो सके उतना न्यूट्रिशन का सेवन करें।
डायबिटीज़ से पीड़ित मरीज़ों का शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए पर्याप्त ‘वाइट ब्लड सेल्स’ उत्पन्न नहीं कर पाता। यही वजह है डायबिटीज़ मरीज़ों को सामान्य फ्ल्यू भी अधिक प्रभावित करता है। हमारे शरीर में संक्रमण होने के दौरान कुछ सीक्रेट होते हैं। सामान्य लोगों की तुलना में डायबिटीज़ के रोगियों में ये हार्मोन अधिक रिलीज़ होते हैं। यही कारण है कि पूरी दुनिया में कोरोना से संक्रमित होने वाले सबसे अधिक लोग डायबिटीज़ के ही थे।
डॉ. मोहित भंडारी के अनुसार, यदि आपकी डायबिटीज़ कण्ट्रोल में नहीं है, और आपका वज़न भी अधिक है, तो आपको संक्रमण होने की संभावना अधिक है। डायबिटीज़ को नियंत्रण में रखने के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें। संक्रमण से बचे रहने के लिए, अपने पेट के मोटापे और डायबिटीज़ की जांच अवश्य कराते रहें।
डॉ. मोहित भंडारी ने पोस्ट-ऑपरेटिव बैरियाट्रिक मरीज़ों के लिए कुछ सावधानियां बताई हैं-
ब्रीथिंग एक्सरसाइज़- जिन मरीज़ों का ऑपरेशन हाल ही में हुआ है, उन्हें रोजाना ब्रीथिंग एक्सरसाइज़ करनी चाहिए। न केवल जिन लोगों का हाल ही में ऑपरेशन हुआ है, बल्कि उन मरीज़ों को भी समय-समय पर एक्सरसाइज़ करते रहने चाहिए, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में बैरियाट्रिक सर्जरी कराई है।
संक्रमण की प्रवृत्ति- बैरियाट्रिक सर्जरी होने के के बाद फेफड़े बेहतर हो जाते हैं और संक्रमण होने की संभावना भी कम होती है। लेकिन आपको अपने फेफड़ों को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त पोषण और नियमित शारीरिक गतिविधि पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। हर मरीज़ को रोजाना कम से कम 350-500 किलो कैलोरी बर्न करनी चाहिए।
डॉ. मोहित भंडारी के अनुसार बैरियाट्रिक सर्जरी के बाद आपको अपने नुट्रिशन एक्सपर्ट द्वारा बताये गए आहार का सेवन करना है, सांस सम्बन्धी व्यायाम करना है और प्रतिदिन पर्याप्त कैलोरी खर्च करना है। यदि इस दिनचर्या का सख्ती से पालन किया जाए तो मरीज़ न केवल वर्तमान में, बल्कि भविष्य में भी संक्रमण को रोक सकता है।